भूमिका:

भारत-तिब्बत समन्वय संघ (बीटीएसएस) के आद्य प्रणेता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चौथे सरसंघचालक प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) ने वर्ष 1996 में लखनऊ से पहुंचे श्री हेमेंद्र तोमर जी को दिल्ली के झंडेवालान स्थित कार्यालय में तिब्बत व कैलाश-मानसरोवर के हित में चीन के विरुद्ध आक्रामक रूप से कार्य करने की प्रेरणा दी। उन्होंने उसी समय कहा था कि चीन एक समय बाद पूरी दुनिया को निगलने की सोच में अमानवीय बन जाएगा। इसके लिए भारत को ही क्रांति करनी होगी। भारत के लोग ही यह काम कर सकते हैं इसलिए आक्रामकता से लगना होगा। इसके बाद वर्ष, 1999 में आरएसएस के तत्कालीन क्षेत्र प्रचार प्रमुख श्री अधीश जी (बाद में, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख बने, अब स्मृतिशेष) ने अपने सहयोगी प्रचारक श्री विजय मान जी के समक्ष श्री हेमेंद्र जी को तिब्बत आंदोलनों से प्रत्यक्ष जुड़ कर स्वयं योगदान करने का मार्गदर्शन किया। इसके बाद, इस प्रकार के संगठनों को करीब से श्री हेमेन्द्र जी ने देखा। तब उन्हें लगा कि दशा ठीक नहीं है क्योंकि इन संगठनों के पास दिशा ही नहीं है। उसके बाद, वर्ष 2018 में सेंट्रल तिब्बत एडमिनिस्ट्रेशन के बुलावे पर श्री तोमर जी परम पावन दलाई लामा जी से मिलने मैकलोडगंज (हिमाचल प्रदेश) गए। उस भेंट में परम पावन ने कहा कि तिब्बत की स्वतंत्रता भारत ही दिला सकता है क्योंकि भारत हमारा गुरु है।

इन बातों से स्पष्ट हुआ कि भारत के लोगों को तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए लगना होगा। वह भी आक्रामक रूप से। अगर तिब्बत आजाद हो गया तो हमें देवों के देव भगवान शंकर जी का मूल स्थान भी प्राप्त होगा और चीन से हर रोज मिलने वाली मानसिक यंत्रणा से मुक्ति भी मिलेगी। बाद के परिदृश्य में देखें, तो जिस तरह से कोरोना वायरस चीन ने पूरी दुनिया में फैलाया, उससे हम सब पूरी दुनिया के लोग तबाह होने लगे। बहुत सारे योग्य और इस जगत के लिए अभी बहुत जरूरी लोगों की हत्या इस तरह चीन ने कर डाली कि दुनिया में सुपर पॉवर कहे जाने वाले देश भी उसके यहां जाकर जांच करने का साहस नहीं बटोर पाए इसलिए लगा कि समग्रता के साथ हमें चीन पर अब हमला करना ही होगा और यह भारत ही कर सकता है। भारत के लोग ही कर सकते हैं और भारत कर भी रहा है।

प्रायः सरकारें भी अपनी जनता का दबाव देख कर निर्णय लेती हैं इसलिए विश्व स्तर पर चीन की दुष्टता के विरुद्ध काम करने के लिए भारत-तिब्बत समन्वय संघ (बीटीएसएस) की स्थापना मकर संक्रांति (विक्रमी संवत 2077) यानी 14 जनवरी, 2021 को हुई। बीटीएसएस के लिए आद्य प्रणेता के रूप में परम पूज्य रज्जू भइया और परम पावन दलाई लामा जी को स्वीकारा गया और आद्य मार्गदर्शक के रूप में श्रद्धेय अधीश जी भाई साहब को। और 14 जनवरी, 2021 को देश भर में अपने-अपने जिलों में कार्यकर्ताओं ने शिवलिंग के समक्ष संकल्प लेते हुए संगठन की स्थापना पर भोले बाबा से लक्ष्य प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा। सरकारी औपचारिकता के निमित्त मार्च, 2021 में संघ का पंजीकरण करा लिया गया। देश के लगभग हर प्रांत में बीटीएसएस की इकाई अब प्रबलता से काम कर रही है। देश में बहुत से साधु-संत हमारे साथ हैं। उन सबका प्रत्यक्ष मार्गदर्शन मिल रहा है। बीटीएसएस मूलतः आरएसएस के विचार-मूल्यों को आत्मसात करते हुए स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाला संगठन है और यह दुनिया का एकमात्र आक्रामक संगठन हैं, जो चीन के विरुद्ध कार्य करने के लिए बना है। समाज के विभिन्न वर्गों से आए हुए लोगों में हमारे पास सर्वाधिक संख्या सैन्य अधिकारियों, एकेडमिक लोगों, पत्रकारों, वकीलों, पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों, जन-प्रतिनिधियों, विद्यार्थियों, कृषकों, श्रमिकों, चिकित्सकों, अभियंताओं, तकनीशियनों, युवाओं तथा आरएसएस के पूर्व प्रचारकों व समाजसेवियों सहित अपने-अपने क्षेत्र के महारथियों की है।

केंद्रीय स्तर पर मार्गदर्शक ब्रह्मवेत्ता श्री देवराहा हंस बाबा (विंध्याचल/वृंदावन/दिल्ली) हैं, जो कैलाश-मानसरोवर की मुक्ति के लिए निरन्तर अपनी परा-शक्तियों का उपयोग करने में जुटे हुए हैं, तो केंद्रीय संरक्षक के रूप में प्रो कप्तान सिंह सोलंकी जी (भोपाल/ग्वालियर) हैं, जिन्हें परम पूज्य रज्जू भइया ने संघ का प्रचारक निकाला था। आदरणीय सोलंकी जी हरियाणा (पंजाब, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त कार्यभार सहित) व त्रिपुरा के राज्यपाल रहे। राज्यसभा के वह दो बार सदस्य बने। विद्या भारती, म. प्र. के अध्यक्ष व “स्वदेश” समाचार पत्र समूह के प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष रहे। मध्य प्रदेश भाजपा के संगठन मंत्री रहे। जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मध्य भारत के प्रांत प्रचारक भी रहे। केंद्रीय संयोजक श्री हेमेन्द्र तोमर (लखनऊ/मऊ) न केवल मीडिया जगत के ख्यातिनाम व्यक्तित्व हैं, बल्कि राष्ट्र-धर्म हित चिंतक भी हैं। आप वर्तमान में दैनिक भास्कर के लखनऊ संस्करण के स्थानीय संपादक हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष जी अंतरराष्ट्रीय ख्याति के वैज्ञानिक प्रोफेसर प्रयाग दत्त जुयाल जी (देहरादून) जबलपुर के नानाजी देशमुख वेटरनरी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति हैं। राष्ट्रीय उपाध्यक्षों में पूर्व रॉ अधिकारी श्री एन. के. सूद (दिल्ली), एयर वाइस मार्शल (अ.प्रा.) श्री ओ. पी. तिवारी (गौतमबुद्ध नगर), मेजर जनरल (अ.प्रा.) श्री संजय सोई (गौतमबुद्ध नगर) हैं। राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री नरेन्द्र पाल सिंह भदौरिया (ग्वालियर) हैं, जो कि पूर्व संगठन मंत्री (बजरंग दल/विहिप और भाजपा) हैं। राष्ट्रीय महामंत्री में आरएसएस के पूर्व प्रचारक श्री विजय मान (मेरठ) है और श्री अरविंद केसरी (वाराणसी) हैं। संघ के विभिन्न आयामो से जुड़े हुये श्री अजित अग्रवाल (कानपुर) राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष हैं।

हमारी केंद्रीय परामर्शदात्री समिति में कई वर्तमान व पूर्व वाइस चांसलर, पूर्व पुलिस अधिकारी हैं तो वैज्ञानिक भी हैं। बाकी विविध क्षेत्रों से हैं। इसी प्रकार, महिला इकाई की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती नामग्याल सेकी जी (मैक्लॉडगंज) भी तिब्बती मूल की हैं। संगठन के नाम के अनुरूप हम भारत वर्ष के लोग तिब्बत के लोगों से मिल कर चीन से सीधे निर्णायक युद्ध करने के मूड में हैं, जिसमें हमें इस देश के हर एक राष्ट्रवादी व्यक्ति को जोड़ना है। “भारत-तिब्बत समन्वय संघ” चीन से भारत को सुरक्षित करने के लिए तिब्बत की स्वतंत्रता व बाबा भोले के मूल गांव कैलाश-मानसरोवर की मुक्ति के लिए कार्य करने वाला जाग्रत संगठन है। आइये, देश और धर्म की रक्षा के लिए उठ खड़े हों।

संगठन परिचय

भारत-तिब्बत समन्वय संघ एक ऐसा संगठन है, जो भारत और तिब्बत के संबंधों की प्रगाढ़ता बढ़ाने और तिब्बतियों के अधिकारों व उनकी वतन वापसी के उद्देश्य से कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि हम इस बात का भी प्रतिपादन व समर्थन करते हैं कि तिब्बत की मुक्ति होने तक भारत में रहने वाले तिब्बती समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता मिले। इसकी स्थापना दिनांक 14.01.2021 को हुई थी । यह संगठन किसी भी राजनीतिक दल की इकाई नहीं है और न ही किसी दल-विशेष के समर्थन की बात करता है अपितु भारत व तिब्बत से जुड़े प्रबुद्ध वर्ग के, अपने-अपने क्षेत्रों में श्रेष्ठ ऐसे नागरिकों का संगठन है, जो तिब्बत के मुद्दे के प्रति संवेदनशील हैं, जो कैलाश-मानसरोवर में बसे अपने आदिदेव महादेव शिव को चीन के चंगुल से मुक्त कराना चाहते हैं और चीन का हमारी सीमाओं पर या व्यापार में या अगल-बगल के अन्य देशों को भड़का के भारत के विरुद्ध चल रहे उसके अघोषित युद्भ में देशहित-धर्महित के लिए अपना समर्पण व योगदान देने को तत्पर है।

उद्देश्य

भारत और तिब्बत दोनों ही धार्मिक भावनाओं से ओत-प्रोत दो ऐसे देश हैं जो अपने सह-अस्तित्व को सदा से ही मान देते आए हैं और एक-दूसरे की समस्याओं को साझा प्रयासों से सुलझाना अपना दायित्व समझते हैं। यही कारण था कि चीनी अतिक्रमण से ले कर आक्रमण तक की यातना के बाद वर्ष 1959 में जब परम् पावन दलाई लामा जी को दुनिया का सबसे अनुकूल देश दिखा तो वह भारत ही लगा। हमारे देश में रह रहे तिब्बती भाई-बहन तो अपने अधिकारों से वंचित होने के कारण जीवन में आगे बढ़ने के अपने प्रयासों में पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पाते हैं इसलिए उन्हें सकारात्मक शक्ति की ओर प्रेरित करना। स्वभाव से शांत और अपने मत के प्रति गहरी आस्था रखने वाले तिब्बतियों पर चीन की सेना का पहरा और भारत की जो सीमाऐं तिब्बत से सटी थीं, उन पर चीन का कब्जा होने के कारण, तिब्बतियों की अपनी घर वापसी बहुत कठिन है ।

आदि योगी शिव का मूल स्थान मानसरोवर, हिंदुओं की आस्था का एक महत्वपूर्ण तीर्थ है और तिब्बत में स्थित है । उस पर चीन का कब्जा होने के कारण बस मुट्ठी भर लोग ही हर वर्ष दर्शन कर पाते हैं। तिब्बत की स्वतंत्रता का अर्थ होगा मानसरोवर की स्वतंत्रता और यह हमारे संघ का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है । तिब्बत की आजादी से भारत की भौगोलिक सीमाएं सुरक्षित होंगी और विश्व पटल पर तथा एशियाई महाद्वीप में भारत अपने आप को एक मजबूत देश के रूप में स्थापित करने में सफल होगा ।

चीन से हमारे देश की लड़ाई सिर्फ वैचारिक नहीं है बल्कि भौगोलिक भी है, जहां चीन ने धरातल पर भारत की भूमि के बड़े हिस्से को हथिआया है । भारत तिब्बत समन्वय संघ से जुड़े आर्मी के अवकाश प्राप्त अफ़सर, विश्वविद्यालय प्रोफेसर, समाजसेवी व युवा सभी इस मत को एक स्वर में गुंजित कर, देश-विदेश की सरकारों व संस्थाओं का ध्यान इस विषय पर आकर्षित कर भारत और तिब्बत दोनों को ही न्याय दिलाने का उद्देश्य रखती है ।

मूल उद्देश्य

1. मुक्त पवित्र कैलाश मानसरोवर।
2. मुक्त तिब्बत भारत की सुरक्षा की गारंटी है।
3. तिब्बती लोगों का मानवाधिकार।
4. बड़े हिमालयी क्षेत्र में तिब्बत का पर्यावरण संरक्षण।
5. तिब्बत भाषा, संस्कृति, कला और धर्म का संरक्षण।

चीनी साम्राज्यवाद या विस्तारवाद के हम खिलाफ हैं। चीन अब पूरी दुनिया में मानव-अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है।

मुख्य विषय, जिन पर संगठन कार्य कर रहा

तिब्बत की स्वतंत्रता तिब्बतियों का पुनर्वास, भारत में तिब्बतियों के अधिकार, तिब्बत की निर्वासित सरकार को सहयोग, मानसरोवर की स्वतंत्रता, हिन्दू तीर्थ कैलाश-मानसरोवर पर भारत का नियंत्रण, भारत की सीमाओं को चीन के कब्जे से मुक्त कराना, भारतीयों और तिब्बतियों में आपसी सदभाव बढ़ाना। इन सबके साथ, चाइनीज सामानों का पूर्ण बहिष्कार ताकि हम आर्थिक रूप से चीन को चोट दे कर तगड़ा सबक दें।

संगठन संकल्प

हे महादेव! ओ शिव भोले !!
हे बुद्ध देव! ओ विष्णुरूप !!
मैं आपका स्मरण कर संकल्प लेता/लेती हूँ कि मैं तिब्बत की स्वतंत्रता व कैलाश-मानसरोवर की मुक्ति होने तक तन, मन, धन से श्रद्धापूर्वक “भारत तिब्बत समन्वय संघ” के पवित्र मिशन से जुड़ कर कार्य करूंगा/करूंगी। स्वर्गभूमि त्रिविष्टप व उसमें निहित शंकर भगवान के मूल धाम कैलाश-मानसरोवर की मुक्ति-संग्राम के लिए हमारा यह संकल्प स्थायी करिये प्रभु! शांति स्थापना के लिए क्रांति करने का बल दीजिये। राष्ट्र रक्षा-धर्म रक्षा के लिए हमें जय दें-विजय दें।

ॐ नमः शिवाय।
ॐ मणि पद्मे हुम्।।
हर हर महादेव।।।